2025 Prayagraj
Kumbh Mela
2025 Prayagraj Kumbh Mela is an event held from January 13, 2025 to February 26, 2025 in Prayagraj, India.
रामचरितमानस और महाभारत जैसे महाग्रंथों में कल्पवास का उल्लेख मिलता है। महाकुंभ के दौरान कल्पवास का महत्व और भी बढ़ जाता है। महाकुंभ के दौरान कल्पवास में व्रत का पालन भी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कल्पवास करने से 100 वर्षों तक बिना अन्न ग्रहण किए तप के जितना फल मिलता है। कल्पवास पौष माह के ग्याहरवें दिन से आरंभ होकर माघ माह के 12वें दिन तक चलता है। कल्पवास के दौरान सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। कल्पवास की दौरान सफेद और पीले वस्त्र धारण किए जाते हैं। कल्पवास की अवधि एक रात्रि से लेकर 12 वर्ष तक हो सकती है। कल्पवास के क्या नियम हैं आइए जानते हैं। ये होते है कल्पवास के नियम कल्पवास के दौरान पवित्र नदी (गंगा, यमुना, सरस्वती) के तट पर साधारण टेंट या झोपड़ी में रहना अनिवार्य है। यह स्थान साधना और तपस्या के लिए उपयुक्त होना चाहिए। पवित्र नदी में स्नान- प्रतिदिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करना आवश्यक है। स्नान दिन में केवल एक बार नहीं, बल्कि तीन बार करना होता है। कल्पवास में केवल शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। भोजन दिनभर में सिर्फ एक बार किया जाता है. मांस-मदिरा, लहसुन, प्याज और तामसिक पदार्थों का त्याग करना अनिवार्य है। हर दिन भगवान का ध्यान, पूजा और भजन-कीर्तन करना अनिवार्य है। साधना के दौरान मौन व्रत का पालन करना शुभ माना गया है। कल्पवास के दौरान जमीन पर सोना होता है। किसी भी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधा से दूर रहना चाहिए। कल्पवास के दौरान धर्मग्रंथों और वेदों का पाठ किया जाता है। यह आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने का समय होता है। कल्पवास में साधारण वस्त्र, विशेषकर सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। कल्पवास का पालन पूर्ण अनुशासन और श्रद्धा के साथ करना चाहिए. झूठ, क्रोध और हिंसा से बचना चाहिए। क्या घर पर कल्पवास संभव है कल्पवास मुख्य रूप से कुंभ क्षेत्र में संगम या किसी पवित्र नदी के तट पर किया जाता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति किसी कारणवश कुंभ मेले में नहीं पहुंच सकता है तो उसके लिए घर पर कल्पवास करना कठिन है. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके नियम के मुताबिक, दिन में तीन बार स्नान और कठोर अनुशासन का पालन करना होता है. हालांकि, घर पर कल्पवास जैसा जीवन जीने का प्रयास किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होगा। महाकुंभ 2025 में 10 लाख श्रद्धालु करेंगे संगम तट पर कल्पवास त्रिवेणी संगम तट पर सनातन आस्था के महापर्व महाकुम्भ का कल से शुभारंभ हो रहा है. 40 से 45 करोड़ श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में अमृत स्नान करेंगे. इसके साथ ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर महाकुंभ की प्राचीन परंपरा कल्पवास का निर्वहन करेंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रद्धालु एक माह तक नियमपूर्वक संगम तट पर कल्पवास करेंगे। कल्पवास पौष पूर्णिमा से शुरू होता है। महाकुंभ 2025 में लगभग 10 लाख श्रद्धालुओं के कल्पवास करने का अनुमान है। शास्त्रीय मान्यता के मुताबिक कल्पवास, पौष पूर्णिमा की तिथि से शुरू हो कर माघ पूर्णिमा की तिथि तक पूरे एक माह तक किया जाता है। इस महाकुंभ में कल्पवास 13 जनवरी से शुरू होकर 12 फरवरी तक संगम तट पर किया जाएगा। शास्त्रों के मुताबिक कल्पवास में श्रद्धालु नियमपूर्वक, संकल्पपूर्वक एक माह तक संगम तट पर निवास करते हैं। कल्पवास की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि कल्पवास व्रत रखने से सभी पाप मिट जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ ही पुण्य फल भी प्राप्त होता है।