2025 Prayagraj
Kumbh Mela
2025 Prayagraj Kumbh Mela is an event held from January 13, 2025 to February 26, 2025 in Prayagraj, India.
13 जनवरी पौष पूर्णिमा से महाकुंभ का शुभारंभ हो रहा है। इसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति का स्नान पर्व होगा जो कि पहला अमृत स्नान होगा। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या को दूसरा अमृत स्नान होगा। महाकुंभ 2025 का आरंभ दुनिया भर के लाखों श्रद्धालुओं के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बन गया है। 144 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद, प्रयागराज में यह भव्य धार्मिक आयोजन शुरू हुआ, जहां लाखों लोग एक साथ पुण्य की डुबकी लगाने पहुंचे। यह अवसर न केवल भारत में बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव साबित हो रहा है। हरियाली और उमंग के बीच, संगम के किनारे इस आयोजन की दिव्यता का गवाह बनने के लिए हर कोई तत्पर है। कल्पवासियों का स्नान और संकल्प महाकुंभ के पहले दिन ही कल्पवासी संगम में स्नान कर कल्पवास के कठिन नियमों का पालन करने के लिए संकल्पित हुए। ये लोग पुण्य प्राप्ति, सद्गति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने अपने परिवार के कल्याण और संपूर्ण विश्व की भलाई के लिए भी आशीर्वाद लिया। सोमवार को महादेव की उपासना के साथ इस स्नान के अवसर को और भी विशेष बना दिया गया। 144 साल बाद दुर्लभ संयोग में रविवार की आधी रात संगम पर पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ महाकुंभ का शुभारंभ हुआ। विपरीत विचारों, मतों, संस्कृतियों, परंपराओं स्वरूपों का गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर महामिलन 45 दिन तक चलेगा। इस अमृतमयी महाकुंभ में देश-दुनिया से 45 करोड़ श्रद्धालुओं, संतों-भक्तों, कल्पवासियों और अतिथियों के डुबकी लगाने का अनुमान है। कुंभ का पौराणिक महत्व ऐसा माना जाता है जब बृहस्पति कुंभ राशि और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब कुंभ लगता है। त्रिवेणी संगम के कारण प्रयाग का महाकुंभ सभी मेलों में ज्यादा महत्व रखता है। कहा जाता है कि देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन के दौरान 14वें रत्न के रूप में अमृत कलश निकला था, जिसे हासिल करने के लिए उनमें संघर्ष हुआ। असुरों से अमृत बचाने के लिए भगवान विष्णु ने विश्व मोहिनी रूप धारण कर वह अमृत कलश अपने वाहन गरुड़ को दे दिया। असुरों ने गरुड़ से वह कलश छीनने का प्रयास किया तो अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिर गईं। कहा जाता है कि तब से हर 12 साल बाद इन स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। 144 सालों बाद आया यह शुभ मुहूर्त महाकुम्भ में आस्था और आधुनिकता का अद्भुत संगम होगा, जो न केवल हर व्यक्ति के जीवन में खुशहाली लाएगा, बल्कि यह उदाहरण बनेगा कि कैसे आस्था और विकास एक साथ आगे बढ़ सकते हैं। कुंभ चार प्रकार के होते हैं। पहला कुंभ साधारण कुंभ होता है। दूसरा कुंभ अर्ध कुंभ होता है। तीसरा कुंभ पूर्ण कुंभ होता है। चौथा तथा सबसे महत्वपूर्ण कुंभ महाकुंभ होता है। अर्ध कुंभ 6 साल में एक बार, पूर्ण कुंभ 12 साल में एक बार और महाकुंभ 144 साल में एक बार आता है। प्रयागराज में महाकुंभ का पहला स्नान 13 जनवरी 2025 को है। स्नान का यह सिलसिला 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इस महाकुंभ के मेले में 40 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है।