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महांकुभ का पैमाना सिर्फ आकार नहीं इसका प्रभाव भी है - गौतम अदाणी

हर 12 साल में, न्यूयॉर्क से भी बड़ा एक अस्थायी शहर पवित्र नदियों के तट पर बनता है। कोई बोर्ड मीटिंग नहीं. कोई पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन नहीं, कोई उद्यम पूंजी नहीं, बिल्कुल शुद्ध, भारतीय इनोवेशन जो सदियों से चली आ रही सीख को दर्शाता है। संभवतः यह विश्व की सबसे बड़ी प्रबंधन केस स्टडी है।

सोशल मीडिया के एक प्लेटफार्म पर अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने अपने ब्लॉग में लिखा कि “महांकुभ का पैमाना केवल आकार के बारे में नहीं है - यह प्रभाव के बारे में है। जब समर्पण और सेवा के साथ करोड़ों लोगों का एक समूह होता है, जब करोड़ों लोग समर्पण और सेवा भाव से जुटते हैं तो यह सिर्फ एक आयोजन नहीं बल्कि आत्माओं का अनोखा संगम होता है।“ महाकुंभ मेले ने सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों का अभ्यास किया था। नदी केवल जल का स्रोत नहीं वह जीवन का प्रवाह है। नदी सिर्फ पानी का स्रोत नहीं बल्कि जीवनदायिनी है। इसे संरक्षित रखना हमारे प्राचीन ज्ञान का प्रमाण है। वही नदी जो करोड़ो लोगों की मेजबानी करती है, कुंभ के बाद अपनी प्राकृतिक स्थिति में लौट आती है और श्रद्धालुओं को शुद्ध करती है।

गौतम अदाणी ये भी लिखते है कि "महाकुंभ वैश्विक व्यापार को क्या सिखाता है, ये मेला हर किसी का स्वागत करता है - साधुओं से लेकर सीईओ तक, ग्रामीणों से लेकर विदेशी पर्यटकों तक, जबकि हम डिजिटल इनोवेशन पर गर्व करते हैं, महाकुंभ आध्यात्मिक टेक्नॉलॉजी - बड़े पैमाने पर मानव चेतना के प्रबंधन के लिए आजमाए हुए सिस्टम को प्रदर्शित करता है। यह सॉफ्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर उस युग में भौतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जितना ही महत्वपूर्ण है, जहां सबसे बड़ा खतरा मानसिक बीमारी है।" महाकुंभ सांस्कृतिक प्रामाणिकता के प्रमाण के रूप में खड़ा है। यह एक संग्रहालय का टुकड़ा नहीं है - यह आधुनिकता के अनुकूल परंपरा का एक जीवंत उदाहरण है।

गौतम अदाणी ने अपने ब्लॉग में आगे लिखा है कि “एआई, जलवायु संकट और सामाजिक विखंडन के युग में, महाकुंभ के सबक, पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। जैसे-जैसे भारत एक वैश्विक महाशक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, हमें याद रखना चाहिए, हमारी ताकत सिर्फ इस बात में नहीं है कि हम क्या बनाते हैं, बल्कि इसमें भी है कि हम क्या संरक्षित करते हैं। महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है - यह एक सभ्यता का एक खाका है।“

महाकुंभ मेले की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। जब हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने महाकुंभ मेले की व्यवस्था का अध्ययन किया, तो उन्हें इसके वास्तविकता पर आश्चर्य हुआ। दुनिया की सबसे सफल मेगासिटी सिर्फ संख्याओं के बारे में नहीं है - यह शाश्वत सिद्धांतों के बारे में है। गौतम अदाणी मानते है कि “महाकुंभ हमें यही सबक सिखाता है कि सच्ची विरासत निर्मित संरचनाओं में नहीं है, बल्कि हमारे द्वारा बनाई गई चेतना में है - और जो सदियों तक पनपती है। इसलिए, अगली बार जब आप भारत की विकास कहानी के बारे में सुनें, तो याद रखें, हमारी सबसे सफल परियोजना कोई बड़ा बंदरगाह या रिन्यूएबल एनर्जी पार्क नहीं है - यह एक आध्यात्मिक मेला है जो सदियों से सफलतापूर्वक चल रहा है, संसाधनों को कम किए बिना या अपनी आत्मा खोए बिना, लाखों लोगों की सेवा कर रहा है।“

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