2025 Prayagraj
Kumbh Mela
2025 Prayagraj Kumbh Mela is an event held from January 13, 2025 to February 26, 2025 in Prayagraj, India.
महाकुंभ भारतीय संस्कृति की गहराई और समृद्धि को दर्शाता है। मकर संक्रांति के दिन का अमृत स्नान शुभता और सकारात्मकता लाने का माध्यम माना जाता है। सूर्य को समर्पित इस पर्व पर श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। स्नान के बाद तट पर ही तिल, खिचड़ी और अन्य पूजन सामग्रियों के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। तिल और खिचड़ी का दान कर श्रद्धालुओं ने धर्म का पालन करते हुए शुभता और मोक्ष की कामना करते हैं। मकर संक्रांति पर क्या होता है दान का महत्व मकर संक्रांति पर स्नान और दान के बाद सूर्यदेव के 12 नामों का जाप और उनके मंत्रों का उच्चारण जीवन की कई समस्याओं को समाप्त कर सकता है. यह मंत्र जाप सूर्य देव की कृपा पाने का उत्तम साधन है। तिल और गुड़ का दान पापों का नाश और पुण्य लाभ प्रदान करता है। नमक का दान बुरी ऊर्जा और अनिष्टों का नाश करता है। खिचड़ी का दान चावल और उड़द की दाल की खिचड़ी दान करने से अक्षय फल प्राप्त होता है। घी और रेवड़ी का दान भौतिक सुख, मान-सम्मान और यश प्राप्त होता है। पक्षियों को दाना और जानवरों को भोजन: यह कर्म अत्यधिक फलदायी माना जाता है. अमृत स्नान का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व महाकुंभ के दौरान कुछ विशेष तिथियों पर होने वाले स्नान को "अमृत स्नान" कहा जाता है। इस नाम के पीछे विशेष महत्व और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि है। माना जाता है कि नागा साधुओं को उनकी धार्मिक निष्ठा के कारण सबसे पहले स्नान करने का अवसर दिया जाता है। वे हाथी, घोड़े और रथ पर सवार होकर राजसी ठाट-बाट के साथ स्नान करने आते हैं। इसी भव्यता के कारण इसे अमृत स्नान (अमृत स्नान )नाम दिया गया है। एक अन्य मान्यता के अनुसार, प्राचीन काल में राजा-महाराज भी साधु-संतों के साथ भव्य जुलूस लेकर स्नान के लिए निकलते थे। इसी परंपरा ने अमृत स्नान (अमृत स्नान) की शुरुआत की। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि महाकुंभ का आयोजन सूर्य और गुरु जैसे ग्रहों की विशिष्ट स्थिति को ध्यान में रखकर किया जाता है, इसलिए इसे "राजसी स्नान" भी कहा जाता है। यह स्नान आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है। महाकुंभ भारतीय समाज के लिए न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसमें अमृत स्नान (अमृत स्नान) के साथ मंदिर दर्शन, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।